-पीयूष चतुर्वेदी
#मैं_और_तुम_के_मध्य_हम_की_एक_तस्वीर
मेरा सारा जीया हुआ अतीत अब भी मुझमें उतना ही व्यापक है जितना मुझमें मेरी श्वास। कभी-कभी लगता है अतीत वह पेड़ है जिससे मैं सांस ले रहा हूं। क्योंकि हर रात जब मेरा अतीत सो रहा होता है मेरा दम घुटता है। इसलिए हर रोज वर्तमान के दरवाजे पर खड़े होकर मैं अतीत की खिड़की में झांकता हूं। जहां मेरी सांसे तेज, लंबी और गहरी होती हैं।
यह मेरे लिए दिसंबर २०१५ के प्रथम सप्ताह को जवान होते हुए देखना है। विवाह की लंबी तैयारी ने उन्हें शारीरिक रूप से थोड़ा थका दिया ...