#वाराणसी
भैया #विनोद_कुमार_शुक्ल_जी की किताबें हैं?
नहीं भैया।
राजकमल प्रकाशन की किताबें तो होंगी।
हां, B नं. ब्लाक में हैं।
हिंद युग्म की?
हां, D नं. ब्लाक में।
लगभग ६५ वर्ष की एक बूढ़ी महिला कांपते हाथों से फिंगर प्रिंट पब्लिकेशन की बंगाल साहित्य की हिंदी अनुवाद की पुस्तकें चुन रहीं थीं।
मैं बगल के दूसरे ब्लाक में हिंद युग्म की।
मैंने #दिव्य_प्रकाश_दूबे जी की शर्तें लागू को उठाया उसे सूंघा और हाथ में रख लिया।
#दीवार_में_एक_खिड़की_रहती_है पढ़ी है मैंने उनकी उसके बाद उनकी किताबें आसानी से मिलती नहीं। बूढ़ी महिला ने मुस्कुराते और कांपते हुए होंठों से बोला।
मैंने भी उन्हें बहुत पढ़ा है। मैं उनकी #एक_चुप_सी_जगह ढूंढ रहा था। आनलाईन महंगी मिल रही है। आप #मानव कौल को पढ़ेगी तो उनके लेखन में शुक्ल जी की खुशबू आती है। वैसे लखनऊ के कपूरथला के #युनिवर्सल_बुक_सेंटर में शुक्ल जी किताबें आसानी से उपलब्ध हैं।
मैंने उन्हें नहीं पढ़ा। लेकिन सुना है। दिव्य की #अक्टूबर_जंक्शन पढ़ी है मैंने।
#शर्तें_लागू शायद उनकी पहली किताब थी। आप #इब्नेबतूती पढ़िए ,उनकी सबसे बेहतरीन किताबों में से एक है।
क्यों भैया है आपके पास? उन्होंने ने दुकान वाले से पूछा।
नहीं, अभी तो नहीं।
आप रखते हीं नहीं है।
शर्तें लागू होगी तो वहीं दे दीजिए।
नहीं उनकी #मसाला_चाय है।
क्या है #मसाला_चाय में?
कैसी है बेटा यह?
बहुत अच्छी है।
कहानियों का संग्रह है। #फिल_इन_दी_ब्लैंक्स बहुत अच्छी एक कहानी है उस किताब में।
मैं अक्सर पुराने लेखकों को पढ़ती हूं।
नए लेखक भी बहुत अच्छा लिख रहे हैं। आप उन्हें भी पढ़िए। #हिंद_युग्म ने अभी #हिंदी_साहित्य में क्रांति लाने का काम किया है।
#सत्य_व्यास जी की #चौरासी सबसे बेहतरीन उदाहरण है।
हम्म, मैंने बागी बलिया पढ़ी है उनकी।
हां बहुत अच्छी उपन्यास है।
आप पुराने लेखिकाओं में #शिवानी जी को पढ़िए उनकी #कृष्णकली #चौदह_फेरे # #अतिथी #सुरंगमा हिंदी साहित्य की बेहतरीन
पुस्तकों में से एक हैं।
हां बेटा लेकिन अब समय नहीं मिलता आंखें दुखती हैं। तुम क्या करते हो तुम बंगाल गए हो कभी? क्योंकि तुमने #शिवानी जी को बहुत पढ़ा है।
हां मैं वहां नौकरी करता था। अभी कानपुर में हूं।
तभी मैंने सोचा। मैं भी बंगाल में रही हूं। अब रिटायर हो गई हूं तो यहीं रहना होता है। वहां तो साहित्य की नदी बहती है। किताबें भी बहुत सस्ती मिलती हैं।
यहां एक तो महंगी और पूरी भी नहीं।
मैं हंस दिया, दुकान वाले भैया मुस्कुरा रहे थे।
उन्होंने #मसाला_चाय अपने हाथ में लिया मैं #शर्तें_लागू और #गांधी_चौक को लिए बाहर निकल आया।
वो अभी भी वहां किताबें चुन रहीं थीं।
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