नदी के बहने जितनी शांति।
हवा के चलने जितनी शांति।
झरने के गिरने जितनी शांति।
शिशु के रोने जितनी शांति।
बच्चों के हंसने जितनी शांति।
तरूण के मौन जितनी शांति।
वृद्ध के कराहने जितनी शांति।
प्रकृति के शांत रहने जितनी शांति।
इतनी हीं शांति की आवश्यकता है।
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