एक सुबह है, जिसे जल्दी है जिम्मेदारी की पगडंडी पकड़ रात के घर जाकर अपनी थकान मिटाने की। एक रात है जिसे जल्दी है नींद के घर पहुंच, चैन की नींद सो जाने की। एक नींद है जिसका लक्ष्य है सपने के घर खुद को टिकाए सपनों में खो जाने की। एक सपना है जिसका साथी मैं हूं। जिसका सपना है मुझे इन सबसे एक साथ मिलाने की।एक सुबह है जो थका हुआ है। एक रात है जो सोया हुआ है। एक नींद है जो खोया हुआ है। एक सपना है जो जागा हुआ इन सब को एक दिशा दे रहा है। एक मैं हूं जो सपना देख रहा हूं और इन सबको एक बस्ते में बंद कर ढोता हुआ हिसाब से खर्च कर रहा हूं। -पीयूष चतुर्वेदी https://itspc1.blogspot.com

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