सफरनामा

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Kanpur, Uttar Pradesh , India
मुझे पता है गांव कभी शहर नहीं हो सकता और शहर कभी गांव। गांव को शहर बनाने के लिए लोगों को गांव की हत्या करनी पड़ेगी और शहर को गांव बनाने के लिए शहर को इंसानों की हत्या। मुझे अक्सर लगता है मैं बचपन में गांव को मारकर शहर में बसा था। और शहर मुझे मारे इससे पहले मैं भोर की पहली ट्रेन पकड़ बूढ़ा हुआ गांव में वापिस बस जाउंगा।

Monday, April 26, 2021

भगवान

भगवान कुछ नहीं करता।
ना अच्छा न बुरा।
भगवान मात्र दर्शक है। 
वह हमें देखता है।
हमारे कर्मों को देखता है। 
हमारे साथ चलता है। 
वह दोषी नहीं क्योंकि कर्ता हम हैं। 
और हम सबमें भगवान बचा है थोड़ा-थोड़ा।
बस उतना हीं जिस मात्रा से इंसान और जानवर में फ़र्क बना रहे।
-पीयूष चतुर्वेदी 

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