हमारे हथेली पर हमारी कहानी लिखी होती है। जिसे पंडित पढ़ने की कोशिश करता है।
हम पूरी उम्र उसे समझने की कोशिश करते हैं।
पांडित्य अंत में हार जाता है।
हम थक जाते हैं।
फिर रेखाएं झूर्रियों का रूप ले कर पृष्ठ की ओर भागती हैं फिर पूरे देंह पर पसर जाती हैं।
और हम बूढ़े हो जाते हैं।
हमारा बूढ़ा होना हमारी कहानी कहता है।
-पीयूष चतुर्वेदी
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