तेलियरगंज,बैंक रोड, सलोरी इन जगहों को मैं अब भी बहुत करीब से जानता हूं।
इलाहाबाद से मैं नाकामयाबी का झोला समेटकर भाग गया था। मेरे वहां से भागते हीं इलाहाबाद, प्रयागराज हो गया था।
सफलता की बूंदों को इकट्ठा करने की जुगत में मेरे कुछ दोस्त अब प्रयागराज में रहते हैं। जब कभी पूछता हूं कहां है आजकल? तो कहते हैं इलाहाबाद में।
उनके लिए प्रयागराज कहना उतना हीं मुश्किल है जितना मेरा इलाहाबाद जाना।
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