सफरनामा

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Kanpur, Uttar Pradesh , India
मुझे पता है गांव कभी शहर नहीं हो सकता और शहर कभी गांव। गांव को शहर बनाने के लिए लोगों को गांव की हत्या करनी पड़ेगी और शहर को गांव बनाने के लिए शहर को इंसानों की हत्या। मुझे अक्सर लगता है मैं बचपन में गांव को मारकर शहर में बसा था। और शहर मुझे मारे इससे पहले मैं भोर की पहली ट्रेन पकड़ बूढ़ा हुआ गांव में वापिस बस जाउंगा।

Sunday, January 22, 2023

कहां है आजकल?

मैं कुछ वर्ष पहले कुछ महीने इलाहाबाद में गुजार चुका हूं। 
तेलियरगंज,बैंक रोड, सलोरी इन जगहों को मैं अब भी बहुत करीब से जानता हूं। 
इलाहाबाद से मैं नाकामयाबी का झोला समेटकर भाग गया था। मेरे वहां से भागते हीं इलाहाबाद, प्रयागराज हो गया था।
सफलता की बूंदों को इकट्ठा करने की जुगत में मेरे कुछ दोस्त अब प्रयागराज में रहते हैं। जब कभी पूछता हूं कहां है आजकल? तो कहते हैं इलाहाबाद में। 
उनके लिए प्रयागराज कहना उतना हीं मुश्किल है जितना मेरा इलाहाबाद जाना।

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