सफरनामा

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Kanpur, Uttar Pradesh , India
मुझे पता है गांव कभी शहर नहीं हो सकता और शहर कभी गांव। गांव को शहर बनाने के लिए लोगों को गांव की हत्या करनी पड़ेगी और शहर को गांव बनाने के लिए शहर को इंसानों की हत्या। मुझे अक्सर लगता है मैं बचपन में गांव को मारकर शहर में बसा था। और शहर मुझे मारे इससे पहले मैं भोर की पहली ट्रेन पकड़ बूढ़ा हुआ गांव में वापिस बस जाउंगा।

Friday, December 15, 2023

मैं सुन रहा हूं

तुमने इसे मार दिया? 

नहीं मैंने नहीं।

मैंने देखा था पिछले इतवार यह तुम्हारे देह पर कूदी थी। 

हां लेकिन आज शुक्रवार है। 

तुमने उस रोज इसके स्पर्श के बाद स्नान नहीं किया था शायद इसीलिए मर गई? 

पता नहीं। छिपकली तो पूरे घर में घूमती है। जाले नोचती है। मकड़ियों को खाती है। फिर घरों को कौन स्नान कराता है? 

जालों को साफ तो करते हैं। 

हां लेकिन पानी से नहीं धोते। 

छिपकली को नहाते देखा है तुमने? 

क्यों? 

मतलब जब छिपकली हमारे संपर्क में आती है तो वो भी नहाती है? 

पता नहीं,कभी देखा नहीं। गिरगिट को देखा है। भींगते हुए उससे हमारे गांव में लोग बारिश का भविष्य नापते हैं।

उसकी लम्बाई से? 

नहीं, उसके गर्दन हिलाने से।

छिपकली भी तो गर्दन हिलाती है। 

हां, लेकिन बारिश नहीं होती। 

तुमने छिपकली से पूछा है कभी? 

क्या? 

यहीं बारिश। 

नहीं दूसरी चींजे पूछी है बारिश का नहीं पूछा। 

क्या बोला उसने? 

कुछ भी नहीं। 

क्यों? 

क्योंकि वो सुनती है। 

बोलती नहीं तो बात क्यों करते हो? 

क्योंकि वो सुनती है। 

फिर बोलती क्यों नहीं? 

शायद उससे बोलती होगी जो उसे सुनता होगा।

तुम क्यों नहीं सुनते? 

मैं तो बोलता हूं ना। और वो सुनती है। फिर सुनते हीं भाग जाती है।

तुम छिपकली से ऐसा क्या बोलते हो? 

वो सारा कुछ जो कोई सुनने के लिए तैयार नहीं।

कौन नहीं सुनता?

ढ़ेर सारे लोग। 

फिर हो सकता है वो तुम्हे सुनकर भागते-भागते थक गई हो और उसे सुनने वाला कोई नहीं मिला फिर उसकी सांस टूट गई। 

यह एक संभावना है लेकिन अभी मुझे नहाना चाहिए या नहीं? 

तुमने उसे छुआ है? 

नहीं, जिंदा थी तो छुआ था। 

कहते हैं छूते हीं नहाना चाहिए। अब देर हो चुकी है। 

किस बात के लिए देर हो गई है?

अपने दोष को काटने की।

नहाने से दोष कट जाता है? 

हां नानी कहती है।

कैसा दोष? 

पता नहीं। मैं तो सुन रहा था। 

पूछा नहीं कभी? 

नहीं,नानी डांटने लगती थी।

बिल्कुल छिपकली की तरह? 

मतलब? 

जैसे छिपकली भागती है ठीक वैसे हीं नानी डांटती है। छिपकली बड़ी होती तो शायद वो भी डांटती। वैसे नानी के मरने पर तुमने स्नान किया था? 

नहीं। 

ठीक है। 

क्या हुआ, तुम सुन रहे हो? 

हां, तुम बोलो मैं सुन रहा हूं।

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