सफरनामा

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Kanpur, Uttar Pradesh , India
मुझे पता है गांव कभी शहर नहीं हो सकता और शहर कभी गांव। गांव को शहर बनाने के लिए लोगों को गांव की हत्या करनी पड़ेगी और शहर को गांव बनाने के लिए शहर को इंसानों की हत्या। मुझे अक्सर लगता है मैं बचपन में गांव को मारकर शहर में बसा था। और शहर मुझे मारे इससे पहले मैं भोर की पहली ट्रेन पकड़ बूढ़ा हुआ गांव में वापिस बस जाउंगा।

Sunday, September 29, 2019

अपने जीवन में कम से कम , एक ऐसे इंसान की खोज कर लें जो आपको खास बनाता है। और आपको स्वयं में खाश होने का अहसास दिलाता हो। फिर आपको भीड़ में शामिल होने की जरूरत नहीं पड़ेगी।


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