सब बिल्कुल धुला-धुला सा है। बिल्कुल साफ। मैंने इतना साफ कभी नहीं देखा। पर आश्चर्य की बात यह है कि आज बारिश नहीं हुई। ना मैंने इसे साफ किया है। मैं तो बस बाकी सबकी तरह कमरे में कैद हूं। कहीं ये कमरे में बंद रहने का परिणाम तो नहीं?
हां हम कैद हैं। हमें सजा मिली है अपने पापों की। और इन्हें इंसाफ मिला है। बहुत दिनों बाद। वो कहते है ना देर है, अंधेर नहीं। आशा करता हूं हमारी सजा जल्द पूरी हो। और इसे पूरा कर हम अच्छे इंसान बनें। -पीयूष चतुर्वेदी Https://itspc1.blogspot.com
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