मैं हर बार कुछ लिखता हूं तुम्हारे लिए।और लिखकर मिटाता हूं।कुछ लिखा तुमने पढ़ा है।कुछ मेरे पास अब भी लिखा पड़ा है।मेरे पास का लिखा मैं बार-बार मिटाता हूं।उसे और अच्छा लिखने कि कोशिश में हर बार हार जाता हूं। पर लिखा था उसे पहले भी तुम्हारे गर्दन पर अपनी सांसों से कभी।तुम्हारी बालों में वो अब भी उलझा होगा कहीं।कभी संवरते हुए अपने बालों से उन शब्दों को चुन लेना। वो मिल जाएंगे तुम्हें हथेलियों में वहीं।फिर मैं अपना सारा लिखा मिटाकर, तुमसे मिलने आऊंगा वहीं।जहां मेरा कुछ लिखा तुमने पढ़ा हर बार सही।एक बार फिर तुम्हारी हथेलियों से शब्दों को चुन लिख जाऊंगा कहीं।

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