सफरनामा

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Kanpur, Uttar Pradesh , India
मुझे पता है गांव कभी शहर नहीं हो सकता और शहर कभी गांव। गांव को शहर बनाने के लिए लोगों को गांव की हत्या करनी पड़ेगी और शहर को गांव बनाने के लिए शहर को इंसानों की हत्या। मुझे अक्सर लगता है मैं बचपन में गांव को मारकर शहर में बसा था। और शहर मुझे मारे इससे पहले मैं भोर की पहली ट्रेन पकड़ बूढ़ा हुआ गांव में वापिस बस जाउंगा।

Thursday, June 4, 2020

हम,वर्ष दिन, महीने को कोसने में इतने व्यस्त रहे कि कोरोना काल भी समाप्त होने को है और हम अपनी ओर देख हीं नहीं पाए। मानव अब भी जीना नहीं सीखा।

ज्यादातर बातें खुद से ही कर लेता हूं। दिमाग की सोची, आंखों देखी, अपने अनुभव और कल्पनाओं से लिखता हूं। आप पढ़िए अच्छा लगेगा। खुद की सोच रखता हूँ राष्ट्र हित में सोचता हूँ और सच का साथ देता हूँ भगवान में आस्था और खुद पे विश्वास मेरी ताकत है। on twitter https://twitter.com/itspc1 , on instagram https://www.instagram.com/itspc1 , on your quote https://www.yourquote.in/chaturvedipiyush521

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