हर किसी के पास अपनी स्थिति के लिए बहाना है या उत्तर होता है।
नहीं बहाना ठीक-ठीक शब्द नहीं। कहानी कहना ज्यादा सही होगा।
और कहानी में वतर्मान स्थिति के लिए बीते हुआ अतीत की परिस्थितियां, कुछ चंद मुठ्ठी भर लोग और उन्हें उलझाता हुआ समय मुख्य पात्र होते हैं।
लेकिन ऐसा सबके साथ नहीं। अफसल लोगों की कहानी में इन किरदारों पर ज्यादा जोर होता है।
सफल व्यक्ति अपनी कहानी में अपनी कलम दूसरों की ओर नहीं मोड़ता।
जिम्मेदारियां बदल जाती हैं।
सफलता भरे जीवन के लिए दूसरा कोई जिम्मेदार नहीं होता। और असफलता कभी स्वयं को देखने हीं नहीं देती।
मैंने कभी किसी असफल को यह कहते नहीं सुना कि अपनी स्थिति के लिए मैं स्वयं जिम्मेदार हूं। हर बार कोई तीसरा कृष्ण पक्ष की काली रात के समान चांद और तारों के बीच आ बैठता है। और सफर व्यक्ति का अहम उस चांदनी रात के चांद के समान होता है जो तारों को अनदेखा कर देता है।
एक सच्ची कहानी यह भी है यहां कोई अपनी कहानी कह हीं नहीं रहा।
एक की कहानी में दूसरे से नाराजगी है तो दूसरे की कहानी में अनदेखापन।
हर कोई किसी दूसरे की कहानी सुना रहा है। और वहीं कहानी घूमती हुई किसी तीसरे से पहले के पास पहुंच रही है।
और वह तैयार बैठा रहता है अपना उत्तर लिए या बहाना लिए।
नहीं वह बैठा है वहीं अपनी कहानी लिए जो उसकी है हीं नहीं।
No comments:
Post a Comment