खादी में जनता के सेवक हैं।
और खांकी में जनता के नौकर।
फिर जनता क्या है? कौन है?
जनता शिकार मात्र है।
जिसका शिकार,शिकारी भेष बदलकर हर बार कर जाता है।
और जनता वापस हिरन की तरह चुनाव रूप जंगल में घूमने निकल जाती है। और फिर कोई शिकारी हनन कर लेता है उसके स्वतंत्रता, संपन्नता और आत्म सम्मान का।
No comments:
Post a Comment