"स्याही वाला कमरा"
कमरे के रोशनदान से भीतर आती सूर्य की किरणें यथार्थ है।
मैं उस रोशनदान से बाहर झांकता हुआ उस यथार्थ को पा सकूं यह मात्र कल्पना।
खिड़की से भीतर आती ध्रुव तारे की रोशनी यथार्थ है।
मैं उसे लाखों तारों के मध्य ठीक-ठीक पहचानता हूं यह कल्पना।
सामने पेड़ों पर पंक्षियो की बातें यथार्थ हैं।
मैं उन्हें समझ सकता हूं यह मेरी कल्पना।
मैं यथार्थ हूं।
मेरा जीना, मेरी कल्पना।
मैं हूं यह यथार्थ है।
मेरा होना, मेरी कल्पना।
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