सफरनामा

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Kanpur, Uttar Pradesh , India
मुझे पता है गांव कभी शहर नहीं हो सकता और शहर कभी गांव। गांव को शहर बनाने के लिए लोगों को गांव की हत्या करनी पड़ेगी और शहर को गांव बनाने के लिए शहर को इंसानों की हत्या। मुझे अक्सर लगता है मैं बचपन में गांव को मारकर शहर में बसा था। और शहर मुझे मारे इससे पहले मैं भोर की पहली ट्रेन पकड़ बूढ़ा हुआ गांव में वापिस बस जाउंगा।

Tuesday, January 26, 2021

गणतंत्र दिवस

अभी-अभी निलोत्पल मृणाल जी का औघड़ समाप्त किया है। प्रशासन और सत्ता का जोर सहता साधारण देशवासी किस प्रकार देश में जीता है! यह वास्तव में एक गंभीर प्रश्न है हमारे गणतंत्र के लिए। और निश दिन चोट करती अन्याय और भीतर तक साधारण वासी को प्रताणित करते कानून व्यवस्था का भी सम्मान करता देशवासी इस बात का प्रमाण है कि हमें आज भी किसी से देशभक्ति के प्रमाणपत्र की आवश्यकता नहीं। कानून के ग़लत प्रयोग, प्रशाशन की कपट कारवाई, चंद हाथों में भटकती सत्ता का जमता रोब कहीं से भी हमारे लोकतंत्र को कमजोर नहीं होने देता। वास्तव में अन्यान्य झेलता व्यक्ति भी भारत माता की जय बोल गणतंत्र को मजबूती से जिवित रखे है। 
गणतंत्र दिवस कि हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं। 
-पीयूष चतुर्वेदी

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