जब देश बेरोजगारी के परेशानियों से जूझ रहा था उसी वक्त देश में अनगिनत संख्या में चौकीदार की भर्ती निकली थी।
मैंने वो फ़ार्म नहीं भरा। क्यों का ज़बाब बस इतना है कि मैं आंख मूंद कर चौकीदारी नहीं कर सकता।
आज करोड़ों की संख्या में चौकीदार हैं लेकिन सब बस दरबार सजाने में लगे हैं।
प्रधान सेवक के चौकीदार का सफर अब और आगे बढ़ चला है।
सुना है जो दिल्ली की जनता.. अरे वहीं जनता जो मुफ्तखोर थी, जिसने आतंकवादी को मुख्यमंत्री चुन लिया था। उस जनता की ताकत को उप राज्यपाल के अंगूठे तले दबाया जाएगा।
मैं तो सोचता हूं प्रधानमंत्री की जगह राष्ट्रपति को बैठा देना चाहिए। लेकिन ऐसा संभव नहीं।
क्यों कि भारत अभी भी भारत है बस इसके कुछ हिस्से पाकिस्तान हुए हैं।
-पीयूष चतुर्वेदी
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