परिधान यदि संस्कार की पूंजी है। संस्कार की पहचान है तो...
क्यों घूंघट में सिमटी महिला स्वतंत्र नहीं? घूंघट की हल्की सरक क्यों कर देती है उसका मैला आंचल?
क्यों नंगे बदन घूमता पुरुष कहा जाता है कूल डूड.. हैंडसम? और कम कपड़े पहने महिला बेहया?
क्यों खद्दर में लिपटे राजनेताओं में नहीं झलकती इमानदारी और भ्रष्टाचार रूपी सेवा में कर जाते देश को खोखला?
क्यों संस्कार विहिन राष्ट्र जो हमसे भी कम और बेठंगा कपड़ा पहनते हैं वो आज भी हैं हमसे विकसित?
-पीयूष चतुर्वेदी
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