गांव के पास सभी प्रश्नों के उत्तर हैं।
क्यों?
क्या?
कैसे?
सभी के ज़बाब हैं।
यह पूराने घर का जर्जर और सूखा हुआ कुआं है। लकड़ी के टुकड़े, जूते ढ़ेर सारे पत्थर इसमें साफ देखे जा सकते हैं। हर शुभ कार्य के पश्चात इस कुआं का पूजा किया जाता है। कुएं में कोई भगवान हैं या नहीं के ऊहापोह से कहीं दूर इसने मुझे पोषित किया है उत्तर को स्वीकार कर कृतज्ञता को सजीव करता वर्षों तक पूरे परिवार को तृप्त करता यह कूआं अब अपने अंत को स्वीकार चुका है लेकिन प्रगतिशील वस्तु हमें हर पल जीवन और ज्ञान का बोध कराती है। यहीं कारण है मनुष्यता का अंत अभी भी सभी के मन में होना बाकी है। जैसे सभी के अंदर भगवान बचे हैं थोड़े-थोड़े से।
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