सफरनामा

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Kanpur, Uttar Pradesh , India
मुझे पता है गांव कभी शहर नहीं हो सकता और शहर कभी गांव। गांव को शहर बनाने के लिए लोगों को गांव की हत्या करनी पड़ेगी और शहर को गांव बनाने के लिए शहर को इंसानों की हत्या। मुझे अक्सर लगता है मैं बचपन में गांव को मारकर शहर में बसा था। और शहर मुझे मारे इससे पहले मैं भोर की पहली ट्रेन पकड़ बूढ़ा हुआ गांव में वापिस बस जाउंगा।

Saturday, December 17, 2022

कभी के पहले अभी

जो सुनते थे
जो सुनते हैं
जिनका सुनना अभी बाकी है 
जो चुप थे
जो चुप हैं 
जिनका चुप होना अभी बाकी है
जो बोलते थे
जो बोलते हैं
जिनका बोलना अभी बाकी है 
जो मेरे थे 
जो मेरे हैं
जिनका मेरा होना अभी बाकी है
जो जानते थे
जो जानते हैं
जिनका जानना अभी बाकी है
जो मानते थे
जो मानते हैं
जिनका मानना अभी बाकी है



जो थे
हैं 
रहेंगे
और जो कुछ भी अभी बाकी है





कभी के पहले अभी 
उन सभी का धन्यवाद 
#बनारस

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