सफरनामा

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Kanpur, Uttar Pradesh , India
मुझे पता है गांव कभी शहर नहीं हो सकता और शहर कभी गांव। गांव को शहर बनाने के लिए लोगों को गांव की हत्या करनी पड़ेगी और शहर को गांव बनाने के लिए शहर को इंसानों की हत्या। मुझे अक्सर लगता है मैं बचपन में गांव को मारकर शहर में बसा था। और शहर मुझे मारे इससे पहले मैं भोर की पहली ट्रेन पकड़ बूढ़ा हुआ गांव में वापिस बस जाउंगा।

Friday, December 13, 2024

हम आकाशवाणी के ओबरा केंद्र से बोल रहे हैं।

नमस्कार..
हम आकाशवाणी के ओबरा केंद्र से बोल रहे हैं। 
अब आप सुनेंगे आपका मनपसंद कार्यक्रम *`हैलो फोरमाइस`* 
जिस कार्यक्रम में श्रोता अपने पसंदीदा संगीतकार के गाने सुनने के लिए पत्र भेजा करते थे। जहां पहली बार मैंने लक्ष्मीकांत प्यारेलाल जी का नाम सुना था।

विडियोकान

मेक का रेडियो एवं आडियो कैसेट प्लेयर पिताजी घर लेकर आए थे। साथ में कुछ व्यास भरत शर्मा जी के आडियो कैसेट जिसकी संख्या धीरे-धीरे बढ़ती चली गई। *वृंदावन से आई रासलीला मंडली के आडियो कैसेट भी खूब बजा करते थे।* कुछ कैसेटों पर हमनें अपनी आवाज रिकार्ड कर खराब भी कर दिया था। घीस चुके कैसेट्स की रिल को दूबारा निकालकर बनाने के वैज्ञानिक कार्य में उसे हमेशा के लिए खराब कर दिया जाता था। 
हम घंटों उस काली और पतली पन्नी के साथ उलझे रहते। किसी ऊंचे स्थान से उसका एक छोर पकड़ दूसरे सिरा को हवा में उड़ानें का प्रयास करते। 
सुबह व शाम को तय समय पर अलग-अलग भाषाओं में मुख्य समाचार पूरी दुनिया से हमें जोड़ा करता था। अंग्रेजी के समाचार का अनुवाद अक्सर हमारे लिए खतरा बना रहता। इस खतरे से बचने का मात्र एक हीं उपाय था हिंदी खबर पर कान खड़े रखना। संस्कृत में समाचार के वक्त अक्सर रेडियो को आराम दिया जाता था। बूढ़े हों या बच्चे सभी अपना दिमाग और निप्पो की बैट्री बचाना चाहते थे। 
फिर तकनीकी सुविधा और वैज्ञानिक आविष्कार ने इसे अचानक से बीमार करना शुरू कर दिया।
`बीमारी आवाज की खच...खच.. से शुरू हुई। टेप के साइड्स बार-बार बदलने पड़ते थे। अचानक से एक रोज घर पर ओनिडा का टेलिविजन और साथ में सीडी प्लेयर और रामानंद सागर जी के रामायण और श्री कृष्णा का सीडी आया और इसे हमेशा के लिए गूंगा कर गया। अब इसके बटन भी काम नहीं करते।`

सारा कुछ जर्जर हो चुका है। सारे अंग शांत हो गए हैं। 

नमस्कार... जैसा अब कोई शोर नहीं। 
बटन को दबाने पर रूखी हुई नाराज आवाज सुनाई पड़ती है।
*`खट..खट.. खीड़..खीड़...`*

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