जल खंडहर
बाढ़ का पानी जब खेतों से वापस जाता है ठीक उसके बाद का बचा हुआ जल। जिससे हल्की सड़न और काई जागती है।
मैं खंडहर हूं।
घर खंडहर
रिश्तों के टूट जाने के बाद जो ठीक अकेला रहता है। वहीं बचा हुआ अपनापन।
मैं खंडहर हूं।
पेड़ खंडहर
मोटे तने पर पक्षियों द्वारा बने कोटर में बचा हुआ खोखलापन। जिसमें थोड़ी जगह हमेशा बची रहेगी।
मैं खंडहर हूं।
`मिट्टी खंडहर`
पत्तों की ढ़हती जीवन में मिट्टी का ठीक-ठाक स्पर्श। जिसमें चिड़िया की चोंच से उपजा चर-पर का संगीत है।
या बांबी की शक्ल में टूटा हुआ घर जहां कोई अस्थाई तौर पर भटकेगा।
ईश्वर है कि नहीं की शंका में।
कहता हूं -_ `मुझे अच्छा मनुष्य बना दो। (विनोद कुमार शुक्ल जी)
सभी को सुखी कर दो।
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