जंगल की भीड़ में एक पेड़ हैं जिसकी छांव में मैं बड़ा हुआ हूं। जिसके फैले हुए जड़ और मुस्कुराते तनें ने हमेशा हर मुश्किल से मेरी रक्षा की है। उसके असिमित प्रेम की गहराई में गोते लगाता मैं अब भी हरा हूं। मैं उसे मां कहता हूं।जिसके अपने बीते कल से आने वाले कल तक के हर पल में मुझे और मेरी खुशियों को सींच कर बड़ा करने का निस्वार्थ भाव छुपा है।

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