सफरनामा

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Kanpur, Uttar Pradesh , India
मुझे पता है गांव कभी शहर नहीं हो सकता और शहर कभी गांव। गांव को शहर बनाने के लिए लोगों को गांव की हत्या करनी पड़ेगी और शहर को गांव बनाने के लिए शहर को इंसानों की हत्या। मुझे अक्सर लगता है मैं बचपन में गांव को मारकर शहर में बसा था। और शहर मुझे मारे इससे पहले मैं भोर की पहली ट्रेन पकड़ बूढ़ा हुआ गांव में वापिस बस जाउंगा।

Thursday, May 14, 2020

वर्तमान में नदियां स्वच्छ हैं

वर्तमान में नदियां स्वच्छ हैं।‌ रंगहीन, सूरज की पड़ती किरणें उसकी सुन्दरता को किनारे पड़े पत्थरों तक बिखेर रही है। किनारे पर छोटी घांसो में काई नहीं जमी। मछलीयां जल में कृडा़ करती साफ नजर आ रही हैं।क्या नदियां मूलतः हमें हमारे पापों से मुक्ति दिलाने का कार्य करती आई हैं? क्या हम घरों में कैद वापस पाप की गठरी तैयार कर रहे हैं? क्या सबकुछ ठीक होते हीं नदी वापस हमारे पापों की गठरी धोते मैली हो जाएगी?
#कोरोना_विशेष

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