मैंने अभी-अभी दुनिया देखी है। मेरा जीवन मुझमें बसा है, मेरे पंखों के आस-पास कहीं। मैं डर रहीं हूं। उन सब से जो घूम रहे हैं मेरे आस-पास कहीं। अभी अपने पंखों पर पूरा विश्वास नहीं। बाकीयों पर जरा भी नहीं। हमेशा नजरें टिकी हुई हैं। घोंसले के आस-पास कहीं। मैं रास्ता भटक गई हूं। मेरी सांसें अटक गई हैं। मैं बेसुध आवाज लगा रहीं हूं। कोई सुन रहा है इसे। मेरे आस-पास कहीं। -
पीयूष चतुर्वेदी
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