मैं मानों धरती सा। तुम मेरी सूरज बन जाना।
मैं बंजर जमीन सा मानों। तुम उस पर नदी सी बह जाना।
मैं शांत पत्तों सा जड़ हुआ। तुम हल्की हवा का झोंका दे जाना।
मैं पंछी सा दर-दर भटकता हुआ। तुम मुझे अपने, आंचल का सहारा दे जाना।
मैं मौन हो जाऊंगा उस पल में कहीं। तुम अपने स्पर्श से मुझे चंचल कर जाना।
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