सफरनामा

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Kanpur, Uttar Pradesh , India
मुझे पता है गांव कभी शहर नहीं हो सकता और शहर कभी गांव। गांव को शहर बनाने के लिए लोगों को गांव की हत्या करनी पड़ेगी और शहर को गांव बनाने के लिए शहर को इंसानों की हत्या। मुझे अक्सर लगता है मैं बचपन में गांव को मारकर शहर में बसा था। और शहर मुझे मारे इससे पहले मैं भोर की पहली ट्रेन पकड़ बूढ़ा हुआ गांव में वापिस बस जाउंगा।

Sunday, August 8, 2021

राम राज्य

"अकबरपुर" कानपुर देहात। यह उत्तर प्रदेश में एक छोटा सा स्थान है। आए दिन यहां सड़कों पर दुर्घटना होती है। सांड़ भारी तादाद में सड़कों पर खाना बदोश भटकते फिरते हैं। कूड़ा घर में अपने लायक भोजन ढूंढते हैं। गौ माता की स्थिति भी समान हीं है। प्रदेश में गौ रक्षकों की बड़ी टीम है। लाखों की संख्या में उसमें आवेदन पत्र जमा किए गए थे। मुख्य नेतृत्व स्वयं भी उसकी कड़ी गढ़ते हैं तथा सेवा मूल्यों की रक्षा के लिए प्रतिबद्ध है। लेकिन अकबरपुर उस सोच से इत्तफाक नहीं रखता। या सुनवाई इस लिए भी नहीं हो रही कि सांड़ लोगों के रास्ते में नहीं आ रहा लोग सांड़ के रास्ते में आ जा रहे हैं ऐसी विचारधारा की उत्पत्ति भी हो सकती है। या नाम में कुछ रहस्य है? नाम अकबरपुर होने में पाकिस्तान की खुशबू साहब तक पहुंच रही हो? शायद नाम बदलने के बाद उचित कार्रवाई होने की उम्मीद है? गौ माता की सेवा और उनकी संतानों के रहने खाने की उचित व्यवस्था का ध्यान रखा जाए। और यह सब रक्षकों को समय रहते तय करना है। क्योंकि एक पंचवर्षीय राम रज्य का समापन निकट है।
-पीयूष चतुर्वेदी

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