मेरे लिए प्रभात एक संदेश लेकर आता है।
देश,शहर,गली से जुड़ी तमाम जानकारी।
यह सब किसी कागज पर लिखा नहीं होता ना हीं किसी पोस्टर पर सरकारी वादों सा चमकता है। ना बिकी हुई खबरों के जैसा अखबारों पर चमकता है।
सारा कुछ एक व्यक्ति के मुख से बिना किसी रूकावट आस-पास फैलता रहता है। वो आवाज़ स्वयं अपना राह तय करता है। सुनने वाले सुनते हैं बाकी अपनी राह चल पड़ते हैं।
अंगिठी के सामने बैठा बड़बड़ाता हुआ वृद्ध अपनी धुन में सच्चाई को वाचता है। शब्दों की लकीर दूर से दूर तक पहुंचती है। मानों उसने शून्य को प्राप्त कर लिया हो।
जैसे जीवन को इतने करीब से देखा हो जहां मृत्यु के लिए स्थान न बचा हो। जैसे यथार्थ के सभी झूठ को विष की भांति स्विकार कर लिया हो और सत्य धारा प्रवाह आकाश में हवाओं सी घुल रही हो।
-पीयूष चतुर्वेदी
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